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जम्मू कश्मीर : भाजपा ओबीसी मोर्चा ने शहीद प्रजापति राम चंद्र विद्यार्थी को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की, जिन्होंने 14 अगस्त 1942 को 13 वर्ष 4 महीने की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम को तेज करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में ताज के झंडे की जगह भारतीय तिरंगा झंडा फहराते हुए राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील प्रजापति ने भाजपा मुख्यालय त्रिकुटा नगर, जम्मू में किया।
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुनीश शर्मा, भाजपा मीडिया प्रभारी डॉ. प्रदीप महोत्रा, राजिंदर चिब, प्रदीप चौधरी, सुरिंदर सिंह, सुरेश सलगोत्रा, अनिल सलगोत्रा, अशोक सलगोत्रा, राकेश ठाकरे, तीर्थ राम, हुकम चंद डोगरा, राकेश मंडल और अजय कश्यप ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुनीश शर्मा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राम चन्द्र विद्यार्थी का जन्म 01 अप्रैल 1929 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नौतन हथियागढ़ गांव में श्री बाबूलाल प्रजापति और माता मोती रानी के घर हुआ था। सातवीं कक्षा में पढ़ते समय से ही उनमें स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति तीव्र भावना थी। महात्मा गांधी ने 09 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी। भारत छोड़ो आंदोलन में जनपद देवरिया के भी बड़ी संख्या में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। राम चन्द्र विद्यार्थी जब सातवीं कक्षा में थे तो उन्होंने ब्रिटिश शासन के प्रति काफी आक्रोश दिखाया और अपने मित्रों के साथ 14 अगस्त 1942 को जिला मुख्यालय पहुंचे और जिलाधिकारी कार्यालय के ऊपर भारतीय तिरंगा झंडा फहराया। जब ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा काफी चेतावनी देने के बाद भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो ब्रिटिश सेना ने गोलियां चला दीं। जिसमें राम चन्द्र विद्यार्थी भारत छोड़ो आंदोलन को सफल बनाने के लिए राष्ट्र की खातिर शहीद हो गए। इतिहास में राम चंद्र विद्यार्थी ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 13 वर्ष की अल्पायु में ही देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। मुनीश शर्मा ने आगे बताया कि राम चंद्र विद्यार्थी की स्मृति में देवरिया के राम लीला मैदान के पास एक स्तंभ स्थापित किया गया है जिस पर राम चंद्र विद्यार्थी के नाम की पट्टिका अंकित है। राम चंद्र विद्यार्थी का नाम पूर्वांचल के बहुत कम आयु के शहीदों की सूची में शामिल है। स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्र के लिए उनके द्वारा दिया गया महान बलिदान देश के लिए गर्व की बात है।